चलेंगे जहाँ ले चले यह ज़िंदगी
बह चलेंगे इन लहरो के सहारे
चाहे बीत जाए कितने लम्हें
चाहे छूट जाए सारे किनारे
सपनो को पिरोके सच के धागे में
सज उठेगा हर दिन अपने दम पर
ज़िन्दगी चलेगी अपने शर्तों पे
होगी ख़ुशी की जीत गम पर
महक उठेगी यह दुनिया हमारी
हर पल कर चलेगी हमे दीवानी
रोज़ होगी एक नयी शुरुआत
लिख्हेंगे रोज़ एक नयी कहानी
बह चलेंगे इन लहरो के सहारे
चाहे बीत जाए कितने लम्हें
चाहे छूट जाए सारे किनारे
सपनो को पिरोके सच के धागे में
सज उठेगा हर दिन अपने दम पर
ज़िन्दगी चलेगी अपने शर्तों पे
होगी ख़ुशी की जीत गम पर
महक उठेगी यह दुनिया हमारी
हर पल कर चलेगी हमे दीवानी
रोज़ होगी एक नयी शुरुआत
लिख्हेंगे रोज़ एक नयी कहानी
No comments:
Post a Comment