ज़िन्दगी कुछ अलग नहीं हमारी भी
हमारे आँखों में भी आंसू ही बसते हैं
जीते हैं हम तो उन्हें छिपाकर ही
भारी गम में भी शौक़ से हँसते हैं
गूँज सन्नाटे के साथ चलती है
तन्हाई में लिपटी ये सब रस्ते हैं
मंजिल के सपने धुन्दले हैं आज भी
इसलिए हम खुद पे ही तरसते हैं
पर ये दिल हार नहीं मानती आज भी
तभी तो आंसू पीकर भी आज हँसते हैं
हमारे आँखों में भी आंसू ही बसते हैं
जीते हैं हम तो उन्हें छिपाकर ही
भारी गम में भी शौक़ से हँसते हैं
गूँज सन्नाटे के साथ चलती है
तन्हाई में लिपटी ये सब रस्ते हैं
मंजिल के सपने धुन्दले हैं आज भी
इसलिए हम खुद पे ही तरसते हैं
अनजान राहो पर भटकता एक राही मैं भी
अपने अरमानों की खुद बलि चढाते हैंपर ये दिल हार नहीं मानती आज भी
तभी तो आंसू पीकर भी आज हँसते हैं
No comments:
Post a Comment